Wednesday 18 June 2014

ऐ गुजरती ज़िन्दगी एहसास लाके दे।





ऐ गुजरती ज़िन्दगी एहसास लाके दे।  
क्या हुआ था ,क्यों हुआ था ,बात लाके दे।  
इन गरीबों की ख़ुशी वो रात लाके दे।  
सुन तड़पती आह को अब आस लाके दे। 
क्या हुआ था ,क्यों हुआ था, बात लाके दे। 
ऐ गुजरती ज़िन्दगी अहसास लाके दे। . 


हर सफर है रास्ता पर खो गयी मंज़िल।  
देख मुड़के तू जरा उसका कटता है कैसे दिन। 
है अँधेरी साम तो सहमा हुआ है दिल ,
है सफर गर ज़िन्दगी अंजाम ला के दे।
क्या हुआ था, क्यों हुआ था ,बात ला के दे। 
ऐ गुजरती ज़िन्दगी अहसास लाके दे।


देख कैसा हंस रहा है दूर से बैठा ,
ये गरीबों की हंसी है क्यों किया ऐसा।  
ज़िन्दगी बदनाम है क्यूँ , जा के उससे मिल।
है गरीबी शॉप तो इंसान लाके दे। 
क्या हुआ था ,क्यों हुआ था ,बात लाके दे। 
ऐ गुजरती ज़िन्दगी अहसास लाके दे।


 


लेखक---
                हरिकेश सिंह " अकेला "