Wednesday 26 December 2012
Monday 24 December 2012
Jeete Hai Jindagi Na Jaane Manjil Ki Kis Raah Par ,
Jeete Hai Jindagi Na Jaane Manjil Ki Kis Raah Par ,
Kaun Sa Yah Safar hai ,Kaun Sa Yah Hai Karwa Mere Lamho Se Kahin Door,
Kya Jeevan ki Har Raah Par Yu Gujar Jaati Hai Taqdeer .
Kya Aise Hi Badalati Hai Har Kadam Par , Har Mod Par Is Jindagi Ki Dastoor..
..................................Harikesh Singh " AKELA "
harikeshakela.nit.iim@gmail.com
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Tuesday 18 December 2012
Saturday 15 December 2012
YAHI TO YAARO JINDAGI HAI !
Thodi Si Akho Me Nami Ho ,
Kisi ki Jeene Me Kami Ho ,
Thode Se Ho Sikwe Gile ,
Yahi To Yaro Jindagi Hai …………. //
Koi To Dil Ko Pyaara Lage ,
Kabhi Jeene Ka Sahara Lage ,
Jab Akho Me Sapne Naye Ho ,
Yahi To Yaro Dillagi Hai …………. //
Kas Ki Har Bato Ko Haqikat Se Milaye ,
Pas Ake Har Dard Ko Pal Me Bhulaye ,
Taqdir To Nahi Magar Manzil Ko Le Jaye ,
Sayad Yahi To Yaro Dosti Hai …………. //
Jindagi Ka Har Safar Anjana Hoga ,
Kuchh Baato,Kuchh Yado Ka Bana Hoga ,
Sapno Ko Hakikat Banana Bas Pyaasi Akho Ki Har Khushi Ho ,
Chingariyo Se Bani Jwala hogi Yahi Haqikat Ki Jindagi Hai ……..//
………………………………….Harikesh Singh
“ AKELA “
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Sunday 9 December 2012
Friday 7 December 2012
अपना समाज
अपना समाज
यहाँ जातिवाद , धर्मवाद है ,
लोकवाद है , कर्मवाद है ,
क्या ऐसा भी होता समाज है,,,,,,//
ऊँच - नींच है , भेदभाव है ,
द्वेष - भाव है , क्लेश - भाव है ,
लगा रहा यहाँ कोई दाव है ,
क्या ऐसा प्रेम का होता भाव है,,,,,,, //
एक छोटा है , एक खोता है ,
खा - पी कर कोई मोटा है ,
किसी का न कोई सम्मान है ,
क्या इतना भी होता अभिमान है,,,,,,,//
लूट - पाट है , मार - काट है ,
बुराइयों का यहाँ राज है ,
नेता सब तोड़ते यहाँ खाट है ,
लगता उनको वहीँ मजा है ,
पर क्या इन गरीबों की यहि सजा है ,,,,,,//
चारा घोटाला है , धारा घोटाला है ,
जो देख रहे हो वो भी घोटाला है ,
ना देखा जो वो भी घोटाला है ,
ये नेतावो का ही छलावा है,,,,,,,,//
आज करेंगे , कल करेंगे ,
विकाश के लिए हम मर मिटेंगे ,
यही कह के हमें वर्षों से टाला है ,
क्या भारत में इतना ठाला है,,,,,,,//
कोई आगे है , कोई पीछे है ,
कोई तेज है , कोई धीमे है ,
गुनाहों के घेरे में कोई छिपे है ,
क्या हमलोग इतने पिछे है ,,,,,//
कोई इंसाफ के लिए वर्षों से हुजुर है ,
कोई मुकद्दर से हरपाल मजबूर है ,
कानून की निगाहों से कोई दूर है ,
क्या इन्साफ का यही दस्तूर है,,,,,,,//
नया नियम रोज होता पास है ,
बात - बात पर होता विवाद है ,
पहले देखते जो आस - पास है ,
दूर वालो का होता नास है ,
क्या लोकतंत्र की यही आस है,,,,,,, //
आदमियत में यहाँ गर्क है ,
प्रेम भाव में यहाँ फर्क है ,
कोई नहीं बनता किसी का है सहारा ,
फिर कैसे बने कोई किसी का प्यारा ,,,,,,,,//
सब तो करते नेतावो पर विश्वास है ,
वो देश के हमारे पालनहार है ,
जो संसद में समय करते बेकार है ,
ब्यर्थ बैठ पढते नमाज है ,,,,,//
हर किसी को सहारा चाहिए ,
तो कौन बनेगा गाँधी , सुभाष ,
आँख खोल ऐ कल के चिराग ,
करना है कोई नव - निर्माड ,
आदत मत बनाना इसको यह हरिकेश इस दिल का आगाज है ,
जिसे देखते हम दूर से है पास का भी तो अपना ही समाज है,,,,,//
लेखक ...........
हरिकेश सिंह " अकेला "
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