Friday 7 December 2012

अपना समाज

अपना समाज 

यहाँ  जातिवाद  , धर्मवाद है  ,
लोकवाद  है  , कर्मवाद  है   , 
क्या ऐसा भी होता समाज है,,,,,,//

ऊँच  -  नींच  है  , भेदभाव  है  ,
द्वेष - भाव है , क्लेश - भाव है ,
लगा  रहा  यहाँ  कोई  दाव  है  ,
क्या ऐसा प्रेम का होता भाव है,,,,,,, //

एक  छोटा  है , एक  खोता  है  ,
खा - पी कर  कोई  मोटा  है   ,
किसी का न कोई सम्मान है , 
क्या इतना भी होता अभिमान है,,,,,,,//

लूट - पाट  है , मार - काट  है  ,
बुराइयों   का  यहाँ  राज  है  ,
नेता  सब  तोड़ते यहाँ खाट  है , 
लगता  उनको  वहीँ मजा है ,
पर क्या इन गरीबों की यहि  सजा है ,,,,,,//

चारा घोटाला है , धारा  घोटाला  है ,
जो देख रहे हो वो भी घोटाला है ,
ना देखा जो वो  भी  घोटाला है  ,
ये  नेतावो  का  ही  छलावा  है,,,,,,,,//


आज  करेंगे  ,  कल  करेंगे   ,
विकाश के लिए  हम मर मिटेंगे ,
यही कह के  हमें वर्षों से टाला है ,
क्या भारत में इतना ठाला  है,,,,,,,//

कोई आगे है , कोई  पीछे  है  ,
कोई तेज है , कोई  धीमे  है ,
गुनाहों के घेरे में कोई छिपे है ,
क्या हमलोग इतने पिछे है ,,,,,//

कोई इंसाफ के लिए वर्षों से हुजुर है ,
कोई मुकद्दर से हरपाल मजबूर है ,
कानून की निगाहों से कोई दूर है ,
क्या इन्साफ का यही दस्तूर है,,,,,,,//

नया नियम रोज होता पास है ,
बात - बात पर होता विवाद है ,
पहले देखते जो आस - पास है ,
दूर  वालो  का  होता  नास  है ,
क्या लोकतंत्र की यही आस है,,,,,,, //

आदमियत  में  यहाँ  गर्क  है  ,
प्रेम  भाव  में  यहाँ  फर्क  है  ,
कोई नहीं बनता किसी का है सहारा  ,
फिर  कैसे बने कोई किसी का प्यारा ,,,,,,,,//

सब तो करते नेतावो पर विश्वास है ,
वो देश के हमारे पालनहार है , 
जो संसद में समय करते बेकार है , 
ब्यर्थ बैठ पढते  नमाज है ,,,,,//

हर किसी को सहारा चाहिए  ,
तो कौन बनेगा गाँधी , सुभाष ,
आँख खोल ऐ कल के चिराग ,
करना है  कोई  नव - निर्माड  ,
आदत मत बनाना इसको यह हरिकेश इस दिल का आगाज है ,
जिसे देखते हम दूर से है पास का भी तो अपना ही समाज है,,,,,//


लेखक ...........
                      हरिकेश  सिंह  "  अकेला  "
                harikeshakela.nit.iim@gmail.com

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