ज़िन्दगी है एक आईना , मुसाफिर हम हैं ,
रोशनी इक पड़ी है अभी, मगर ये आग कम है ,
रंगों से सजाकर इक तस्वीर है बनायी हमने ,
मगर देखता हूँ अभी तो इसकी बनी बुनियाद कम है.........//
है तमन्ना कि कल सुबह होने से पहले हर पल को सजा लेंगे ,
काफिला भी फीका पड़े यदि कही तो हर कारवाँ को चुरा लेंगे ,
अरे हमने भीं सफ़र किया है ज़िन्दगी के हर मंजर का ,
हम भी इसके सौदागर हैं, कही तो ठहर आयेंगे किसी नजर को.......//
राहों में अब तो आरज़ू को सैलाब बना देना है ,
यादों को याद किया मगर वादों को निभा देना है ,
कौन कहता है कि किस्ती मोहताज है किसी मुसाफिर की ,
हमें तो मंजिल का हर पहलू हकीकत से सजा लेना है .......//
..........................................Author---
Harikesh Singh " AKELA "
www.harikeshakela.blogspot.com
रोशनी इक पड़ी है अभी, मगर ये आग कम है ,
रंगों से सजाकर इक तस्वीर है बनायी हमने ,
मगर देखता हूँ अभी तो इसकी बनी बुनियाद कम है.........//
है तमन्ना कि कल सुबह होने से पहले हर पल को सजा लेंगे ,
काफिला भी फीका पड़े यदि कही तो हर कारवाँ को चुरा लेंगे ,
अरे हमने भीं सफ़र किया है ज़िन्दगी के हर मंजर का ,
हम भी इसके सौदागर हैं, कही तो ठहर आयेंगे किसी नजर को.......//
राहों में अब तो आरज़ू को सैलाब बना देना है ,
यादों को याद किया मगर वादों को निभा देना है ,
कौन कहता है कि किस्ती मोहताज है किसी मुसाफिर की ,
हमें तो मंजिल का हर पहलू हकीकत से सजा लेना है .......//
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Harikesh Singh " AKELA "
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