मैं वो बादल हूँ ,
जो सुखी धरती पर जाकर ,
प्यास बुझाकर हर राही की ,
उल्लास भाव से हर्सुंगा ........//
मैं वो बादल हूँ ,
जो संस्कृति कवच कुंडल है ,
यदी मानवता सीमा पार चली ,
तो धधकता सूर्य - सौर्यमंडल है .........//
मैं वो बादल हूँ ,
जो पत्थर दिल पिघलाऊंगा ,
बरसो से सूखे नयनों में ,
सावन फिर से लाऊंगा ..........//
मै वो बादल हूँ ,
जो राग गीत सुनाऊंगा ,
पनप उठे हर डाली - डाली ,
पतझर सब हर जाउंगा ..//
.................Harikesh Singh " AKELA "
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