Sunday 29 September 2013

हमने तो ज़िन्दगी भी किसी को दान कर दिया ,

कहीं ख़ुशी मिली तो उधार दे दिया ,
किसी को रोंशनी का चिराग दे दिया .
वो भी एक फरिस्ता था पर मुझसा तो नहीं ,
हमने तो ज़िन्दगी  भी  किसी  को दान कर दिया ,


अनजान अजनबी हूँ  , इन खामोश रास्तों का .
जज्बात जिंदगी हूँ  , इन बदनाम अहटों का,
कहीं किरण मिली तो अहसास हूँ डगर का,
नादान तो नहीं है  ,पहचान हूँ हर कल का .


--------- हरिकेश सिंह " अकेला "
https://www.harikeshakela.blogspot.com

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