बस यही शाम ढला लूँ मैं ,
बस यही रात बिता लूँ मैं ,
बस यही बात सुना लूँ मैं ,
बस यही राह बना लूँ मैं ,
फिर तो ज़िन्दगी के राहों में ,
चलना ही है सदा हमको......//
इन खामोश सुनीं रातों में ,
बस एक अहसास जगा लूँ मैं ,
कैसे जीते होंगे अंधे यहां पर ,
उनके सपनों की जरा राह बना लूँ मैं ,
फिर तो ज़िन्दगी के राहों में ,
चलना ही है सदा हमको ......//
जिसे ज़िन्दगी मिली है गम की ,
जिसकी प्यासी निगाहें नम हैं ,
जो काँटों को बना फूल कही ज़िंदा है मगर ,
है अँधेरा सा कहीं आज दिल में भी ,
जो ख़ुशी का पैगाम लेकर आया था कहीं दूर से ,
इन बुलंदियों में आज वही परवाना जिन्दा कर लूँ मैं ,
फिर तो ज़िन्दगी के राहों में ,चलना ही है सदा हमको ........//
लेखक -
हरिकेश सिंह "अकेला"
Mob-09594280890