Tuesday 5 January 2016

कितनी ख्वाहिशे छुपाये इस दिल में रखा है , कि गुलशन में हो सबेरा उनके , है ये अहसास का तकाजा जो आज भी बनाये रखा है , कि कही तो जी रहे हैं हम ख्वाबो में ही सही उनके..........// लेखक - हरिकेश सिंह " अकेला "







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