Saturday 10 August 2013

आज ही इस पागल दिल को समझा ले हरिकेश ,



आज ही इस पागल दिल को समझा ले हरिकेश ,
मंजर को तो देख के चल तू आ गया किस देश ,
उसकी परछाईयाँ चली गयी तेरी राहों से दूर ,
भूल जा हर वक़्त को इसमें तेरा क्या कसूर ........\\



............................हरिकेश सिंह " अकेला "

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