दुनिया बदल रही , बदल रहा जमाना है
पूछते हो गैर क्या , यहाँ सब अपना बेगाना है ,
पाता है कोई क्या यहाँ , सबकुछ तो लुटाना है ,
इक रिश्ता है ये जिंदगी, आज है कल बीत जाना है ,............//
कल्पना की तस्वीर है सिर्फ , प्यार के ये रास्ते ,
खोजता रहेगा दिल उस याद को , जीते हो जिसके वास्ते ,
जी भर के जी लो अभी , हर लम्हों की दीवानी को ,
काश बन जाता एक गुलिस्ता यहाँ, हर इक कहानी को,...........//
पत्थर का इन्सान है , तो आवाज कहाँ से आएगी ,
सपनो में खो रहा तो , अंदाज कहा से आएगी ,
तड़पता वो दिल है ,जो सब कष्टों को झेला होता है,
लहरें वहां उठती है , जहाँ नया सबेरा होता है ,.............//
लेखक
हरिकेश सिंह " अकेला "
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