ढहर जा ऐ वक्त जरा इसपल को ,
आज जी लेने दे कुछ खास पल को ,
घबराया दिल आज बेचैन बड़ा है ,
कुछ तो छुट गया है उन बीते कल को .....//
वो कल की यादें , है क्यों हरपल आते ,
लम्हे गुजरते है, पल - पल बीत जाते ,
वो माँ के ममता का साया वो पापा की बाते ,
ऐ खुदा फिर वही जिंदगी पल क्यों नहीं लाते ....//
लेखक .....हरिकेश सिंह " अकेला "
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