हिंदी जगत का दीपक था वो, कहा गया वो ज्ञानवान ,
गुरु था हर समृधि का वो, बुद्ध से बढ़कर बुध्धिमान ,
ज्ञान हमेसा बडा है होता,कहता था वो समय का वीर ,
भावी किरण की रोशनी दे दी ,अँधा था वो जबकि गम्भीर .....//
चमक रहा था सूरज बनकर अनंत गगन का नूर ,
गौर किया हर इक मजहब पर पीर न पायो पूर ,
अंध देख पछचाता था जग, सूरज देख रहा था सम्पूर ,
वात्सल्य चितेरा चला गया पंक्षी बनाकर सूर ........//
............................लेखक
हरिकेश सिंह " अकेला "
https://www.harikeshakela.blogspot.com
No comments:
Post a Comment