Sunday 9 February 2014

है ऐसे शांत क्यों बैठा कोई अंजाम आया क्या,ये आवाजे तो दूर कि हैं कोई पैगाम आया क्या ,रातें नम हैं तेरी भी गलती माफ़ कर देना ,मोहब्बत ये तो नहीं कहती किसी पर जान दे देना। .... 



                                  हरिकेश सिंह " अकेला  "

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