Thursday 15 November 2012

इक सपना तो होगा इस दिल का

                                 इक सपना तो होगा इस दिल का 

अकेले में गा रहे  क्यों रो रहे हो महफ़िलो में  ,
दुनिया बुरी नहीं है  क्यों चल पड़े हो दारियो में ,  
इन राहों में तेरे बहो में कौन है पनपता यूँ  ,
क्यों दहकता है आग सा तू , क्या कहर थी बीते दिनों में  //

तेरे आँखों में  जो है झलकता हरपाल  वो ख्याल किसका है  , 
जो मंजिलो के बीच  भी तुझे  हरपल है  सता रहा  , 
ऐ  हरिकेश  जा लौट  जा  फिर  उन्ही वादियों में  ,
कही कोसो से है कोई तो अपना तुझे बुला रहा  //


तेरा मासूम दिल है सम्हल जायेगा .
तेज धड़कने भी थम जाएँगी  ,
पर क्या तू रुक पायेगा  ,
तेरी नजरें छुपा पायेंगी    //

हरिकेश यादों में जीते नहीं  ,
भूल गए सब जो कल को थे बीते कहीं  ,
फरियाद नहीं करता है दिल बेचैन होकर ,
अभी जो जागा है ये वर्सो से सोकर  //

इक तमन्ना  , इक ख्वाब है दिल का  ,
ज्योति का जलता चिराग है दिल का  ,
महक जाती है खुशबु गुलाब की भी  ,
मगर परछाईयो में भी भींगता जुलाब है दिल का  //

कोई भी अपना नहीं होता भी तो क्या कम  है   ,
लहू - सा  बन आंसू  निकल पड़े तो क्या गम है  ,
अपना सब नजर आ रहा है यहाँ कोसो तक मगर 
दिल चाहता है क्या , इसे अभी क्या कम है  //

कहता है दिल मुझे किसी खास का है इंतिजार  ,
जो आ रहा है कही दूर से लेके मेरा बरसो का प्यार  ,
बहुत सताया है हरिकेश , जिंदगी ये जमाना मुझे  ,
खुसियां तो फीकी पड़ी , गम भी नहीं है हाथ  ,
होता कोई मतवाले फिरते सबनम  ले - लेते साथ  .....//


( यह दिल भी क्या चीज है जो बरसो की यादे लेकर राहों में निकल पड़ता है ,
किसी अनजानी मंजिल की तलास में  सिर्फ इक सपने और इक हौसले के दम पर  // )

लेखक ........
       हरिकेश  सिंह  " अकेला  "
harikeshakela.nit.iim@gmail.com
 
अन्य  www.harikeshakela.blogspot.in   पर ...


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