कल की यांदे
कल कि वो बाते , खुशियों कि महफ़िल
गुजरी वो रातें माँ भी तो संग थी
फिर वही दिन फिर वही राते
लौट के आ जा मेरी बस खातिर //
बीत गयी बाते . बीत गयी राते
कल जो उनसे हुई थी मुलाकाते
चलते -चलते बस दूर ही हुए सबसे
फिर वही मंजिल , फिर वही काटें //
किसी की तलास तो रहती है हरपल
कौन है वो दूर का उसे क्यों न हम पा ले
हरपल इक फासले में खोजा था हमने
मगर जिंदगी की राहों में बीत गयीं रातें //
लेखक ............
श्री हरिकेश सिंह " अकेला "
harikeshakela.nit.iim@gmail.com
लेखक की कलम को पाए ................www.harikeshakela.blogspot.in पर ...
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