Tuesday 6 November 2012

कल की यांदे



                                          कल की यांदे 


कल कि वो बाते , खुशियों कि महफ़िल 
गुजरी वो रातें माँ भी तो संग थी 
फिर वही दिन फिर वही राते 
लौट के आ जा मेरी बस खातिर //


                     बीत गयी बाते .  बीत गयी राते 
                     कल जो उनसे हुई थी मुलाकाते 
                     चलते -चलते बस दूर ही हुए सबसे 
                      फिर वही मंजिल , फिर वही काटें  // 


किसी की तलास तो रहती है हरपल 
कौन है वो दूर का उसे क्यों न हम पा ले 
हरपल इक फासले में खोजा था हमने 
मगर  जिंदगी की राहों में बीत गयीं रातें //


लेखक ............
श्री  हरिकेश  सिंह  " अकेला "
harikeshakela.nit.iim@gmail.com

लेखक की कलम को पाए ................www.harikeshakela.blogspot.in  पर ...

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